G-7 क्या है ?
G -7 दुनिया की सात सबसे बड़ी और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह हैं।इसमें वे देश शामिल होते हैं जो आजादी ,मानवाधिकार,लोकतंत्र और डेवलपमेंट के सिद्धांत पर चलते हैं।इसका मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन,खाद्य सुरक्षा,पर्यावरण ,ऊर्जा,स्वास्थ्य ,आतंकवाद, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे भविष्य के मुद्दों पर चर्चा करना साथ ही इनसे निपटने के समाधान पर विचार करना।
समूह 7 में कनाडा,फ्रांस,जर्मनी,इटली,जापान,ब्रिटेन,संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपियन यूनियन देश शामिल हैं। समूह 7 की स्थापना 1975 में हुई थी लेकिन कनाडा के 1976 में शामिल होने पर इसका नाम G7 पड़ा।पहले रूस भी इसका सदस्य था लेकिन 2008 में जार्जिया और 2014 में क्रीमिया पर कब्जा के बाद रूस को अस्थाई रूप से हटा दिया गया।G7 हर साल शिखर सम्मेलन आयोजित करता हैं इस दौरान सदस्य देशों के नेता आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
हाल ही में G7 की बैठक जर्मनी के म्यूनिख शहर में 26-27 जून को संपन्न हुई। जिसमें सात सदस्य देशों और यूरोपियन यूनियन के अलावा भारत, इंडोनेशिया ,अर्जेंटीना,सेनेगल ,दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम देश विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। वहीं यूक्रेन देश भी वर्चुअली रूप से शामिल हुआ,लेकिन इसके विरोधी देश रूस और चीन नहीं शामिल थे।
किन - किन मुद्दों पर चर्चा हुईं?
1- इस बार विश्व के अमीर देशों और अतिथि देशों ने रूस के आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन का समर्थन करने का संकल्प लिया हैं साथ ही रूस की ऊर्जा आपूर्ति की कीमत को सीमित करने की चर्चा हुई।इससे रूसी आय का एक प्रमुख स्रोत प्रभावित होगा।
2- जर्मनी में आयोजित G7 के नेताओं ने चीन के मल्टी ट्रिलियन डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोग्राम को काउंटर करने के लिए 600 अरब डॉलर का पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII)प्रोग्राम लॉन्च किया हैं।यह G7 देशों के सार्वजनिक और निजी संस्थानों के माध्यम से अगले पांच सालों में फंड मुहैया कराएगा।इस प्रोजेक्ट में यूरोप 317 अरब डॉलर और अमेरिका 200 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट करेगा।इस प्रोग्राम के ऐलान के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा यह कोई मदद या चैरिटी नही है यह एक निवेश है जिसका सभी को फायदा होगा।इससे गरीब और मिडिल इनकम वाले देशों में जलवायु परिवर्तन के साथ -साथ वैश्विक स्वास्थ्य,लिंग समानता और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
भारत की तरफ से G7 की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया।इस दौरान जलवायु ऊर्जा ,स्वास्थ्य,समलैंगिकता और खाद्य सुरक्षा पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा की रूस- यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है। पीएम मोदी ने कहा ऊर्जा तक पहुंच अमीरों का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए क्यों कि उर्जा पर सभी का समान अधिकार हैं और भारत हमेशा शांति के पक्षधर रहा हैं।
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