देश की आयरन लेडी कहीं जाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के चुनाव में एक नारा दिया था, उन्होंने कहा था "गरीबी हटाओ" लेकिन इस नारे को दिए हुए 5 दशक बीत चुके हैं। क्या आपको लगता है देश में गरीबी हट गई है ? यकीनन जवाब आएगा नहीं ! आज भी दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब भारत में निवास करते हैं। "गरीबी हटाओ" महज एक नारा नहीं बल्कि एक जीवतं अवधारणा थी जिसके तहत समाज में हाशिए पर पड़े गरीब, वंचित, शोषित और असहाय लोगों एक सम्मानजनक जिंदगी प्रदान करना था। एक ऐसी जिंदगी जिसमें उन्हें बुनियादी जरूरतों के लिए जूझना न पड़े! रोटी, कपड़ा और मकान जिंदगी जीने के 3 मूलभूत आवश्यकताएं कम से कम पूरी हो जाए! लेकिन पूरा देश छोड़िए देश की राजधानी जिसे सबसे रईस इलाकों में से गिना जाता है, जहां सड़कों पर गाड़ियां फर्राटे भरती है पूरा शहर चकाचौंध से भरा होता है उसी दिल्ली में ऐसे लाखों लोग हैं जो आज भी गरीबी, बदहाली और मुफलिसी की जिंदगी गुजारने को विवश हैं। बीते दिन हमने ओखला के रेलवे स्टेशन से सटे सी• आर• आई• इंदिरा कैंप का दौरा किया जहां लाखों लोग झुग्गियों में जिंदगी गुजारने को विवश है। इनका संघर्ष मुख्य रास्तों से अपना घर जाने के साथ ही शुरू हो जाता है। ऐसी संकीर्ण गलियां जहां एक साथ दो लोग आ जा नहीं सकते ऐसी रास्तों से ये लोग अपनी झुग्गियों में आते-जाते हैं।
झुग्गियों ऐसी जगह पर बनी है जहां सामान्य दिनों में भी पानी का जमावड़ा लगा रहता है, तो सोचिए बरसात के दिनों में इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की क्या दुर्दशा होती होगी! इन लोगों ने बताया कि हमेशा पानी जमा रहने की वजह से डेंगू, मलेरिया जैसी कई बीमारियां पनपती रहती है। दिल्ली सरकार के द्वारा मोहल्ला क्लीनिक को लेकर बड़ी-बड़ी डिंग हांकी जाती रही हो लेकिन इन झुग्गियों के आस-पास में कोई मोहल्ला क्लीनिक नहीं है जहां पर ये अपना प्राथमिक उपचार भी करवा सकें। लोगों ने बताया कि इन्हें सफदरजंग या कई किलोमीटर दूर प्राइवेट अस्पताल इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता है जहां घंटो घंटो तक इंतजार करने के बावजूद इनका सही समय पर इलाज नहीं हो पाता।
इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों का वर्तमान तो बदतर है ही लेकिन इनके भविष्य पर भी संकट का बादल मंडरा रहा है। आसपास बेहतर स्कूल ना हो पाने की वजह से झुग्गियों में रहने वाले हजारों परिवार के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं। भले ही केंद्र और दिल्ली सरकार के द्वारा गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हो लेकिन झुग्गियों में रहने वाले इन लोगों के तमाम दस्तावेज के होने के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। महिलाओं ने बताया कि कुछ घरों में उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मुहैया करवाई गई है लेकिन अधिकांश घरों में आज भी परंपरागत चूल्हे पर खाना बनाया जाता है। इन झुग्गियों में रहने वाले अधिकांश लोग कुपोषण के शिकार हैं किसी इंसान के चेहरे पर रौनक नहीं दिखाई देती! ये किसी तरह से मजदूरी और सड़कों के किनारे छोटी-मोटी दुकाने लगाकर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।
हालांकि इन तमाम अभावों और मुश्किलों को झेलने के बावजूद ये लोग काफी उत्साहित दिखाई दिए! लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का जिक्र आते ही इनके चेहरे की रंगत उतर जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि रेलवे किनारे बसे सभी अवैध झुग्गियों को हटाए जाए। और इसी की वजह से कई बार इन गरीब लोगों को रेलवे और डीडीए के अधिकारी परेशान करते हैं। बहरहाल केंद्र और दिल्ली सरकार को इन हजारों परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना चाहिए साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि झुग्गियों में रहने वाले ये लाखों परिवार घर टूटने के साए में जिंदगी गम और खौफ में ना गुजारें!
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