अग्निपथ योजना

क्या है अग्निपथ योजना?

केंद्र सरकार द्वारा सेना में टूर ऑफ ड्यूटी या शॉर्ट टर्म नियुक्ति के लिए 'अग्निपथ' योजना लाई गई है। इस योजना के तहत भारतीय सेना में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती की जाएगी। यह योजना सिर्फ जवानों के लिए होगी ,अफसरों के लिए लागू नहीं होगी। इस योqजना में थलसेना को छोड़कर नौसेना और वायुसेना में महिलाएं भी तैनात होंगी। अग्निपथ में शामिल होने वाले युवाओं की उम्र 17.5 साल से 21 साल तक होगी। हालांकि इस वर्ष की भर्ती में कोरोना की वजह से दो सालों से सेना भर्ती नहीं होने के कारण 23 वर्ष तक के युवाओं को छूट दी जाएगी। अग्निपथ के तहत भर्ती जवानों को अग्निवीर कहा जाएगा।

इस योजना से उन लोगों को सेना में जाने का मौका मिलेगा जो देश की सेवा करना चाहते हैं। चार साल पूरा होने के बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में स्थायी कैडर में भर्ती किया जाएगा। सेना के अधिकारी इनकी योग्यता और प्रदर्शन के आधार पर इन्हें स्थायी करेंगे।

रैली के माध्यम से साल में दो बार लगभग 50 हजार अग्निवीरों की भर्ती हर साल तीनों सेनाओं में होगी। हालांकि इस वर्ष 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती इस योजना के तहत होगी। भर्ती के बाद अग्निवीरों को सेना के जवानों की तरह छह माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मेडिकल अवकाश के साथ हर साल 30 दिन की छुट्टी भी मिलेगी।

क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी अग्निवीरों को?

अग्निवीरों को हर माह लगभग 30 हजार वेतन मिलेगा और इसमें से 30 फीसदी की कटौती करके रिटायर के बाद उतना ही और जोड़कर सरकार देगी। हर साल वेतन में इंक्रीमेंट भी होगा। अग्निवीरों को सियाचिन और अन्य युद्ध क्षेत्रों में रहने पर भत्ता और सुविधाएं नियमित सैनिकों की तरह ही मिलेंगी। रिटायर होने के बाद 75 फीसदी अग्निवीरों को लगभग 11.7 लाख का सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा, जिस पर टैक्स नहीं लगेगा। सेना में शहादत या बलिदान देने पर उनके घर वालों को एक करोड़ राशि का आर्थिक पैकेज दिया जाएगा। साथ ही 48 लाख का जीवन बीमा कवर और मेडिकल की सुविधा भी दी जाएगी। इसमें हाईस्कूल पास भर्ती युवा को इंटरमीडिएट का सर्टिफिकेट दिया जाएगा और इंटरमीडिएट भर्ती युवा को डिप्लोमा की डिग्री दी जाएगी।

अग्निपथ योजना का उद्देश्य -

इस योजना का मुख्य उद्देश्य सेना में युवा चेहरा देना, युवाओं को नई तकनीक से ट्रेनिंग देना है क्योंकि यूथ में कुछ भी करने और सीखने का जोश और जुनून होता है। भविष्य में सेना की लड़ाई हथियार से नहीं टेक्नोसेवी(तकनीक पर आधारित) होगी, उसके लिए यूथ की जरूरत होगी। सेना में औसत आयु 32 वर्ष से कम करके 26 वर्ष करना इस योजना का लक्ष्य है। जिससे यह आधुनिक सेनाओं की आयु प्रोफाइल के समान होगी। सेना में 70 फीसदी जवान ग्रामीण क्षेत्रों से आते है इससे गांव में बेरोजगारी दर कम होगी और ग्रामीण विकास करना इसका मकसद है।

सेना में वेतन और पेंशन पर व्यय कम करना और सेना के आधुनिकरण में ज्यादा खर्च करना इसका मुख्य उद्देश्य है क्योंकि सैन्य बजट का लगभग आधा खर्च पेंशन और वेतन भत्ता पर खर्च हो जाता है। सैन्य बजट के आंकड़े के अनुसार 10 सालों में रक्षा पेंशन के खर्च में 12 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है जबकि रक्षा बजट में औसतन 8.4 फीसदी ही बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2021- 22 में रक्षा बजट की बात करें तो सैन्य बजट का 54 फीसदी खर्च वेतन और पेंशन पर हुआ है जबकि 27 फीसदी खर्च नए कामों को अंजाम देने में खर्च हुआ है। बाकी का खर्च स्टोर उपकरणों के रखरखाव, रिसर्च, सीमा पर सड़कों आदि में हुआ है। सेना में फुल सर्विस से वेतन-भत्तों में कुल खर्च 12 करोड़ आता है जबकि चार साल की शॉर्ट सर्विस से सिर्फ एक करोड़ ही खर्च होगा। इसको ध्यान में रखकर इस योजना को लाया गया है। युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना और आत्मनिर्भर बनाना भी अग्निपथ योजना का मकसद है।

चार साल बाद 75 फ़ीसदी अग्निवीर क्या करेंगे?

अग्निवीरों को सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सरकार पुलिस बल में 10 फीसदी आरक्षण देगी और अन्य सरकारी नौकरियों में भी वरीयता दी जाएगी। साथ ही रक्षा क्षेत्र के असम राइफल्स, सीएपीएफ जैसी जॉब में वरीयता और आरक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा बैंक लोन के जरिए उन्हें दूसरी नौकरी शुरू करने में सरकार मदद करेगी। 21 साल बाद युवा आगे की पढ़ाई किसी भी क्षेत्र में कर सकते हैं या 11 लाख के वित्तीय पैकेज से नया बिजनेस भी शुरू कर सकेंगे।

अग्निपथ योजना की कमियां -

सरकार सिर्फ 25 फीसदी युवाओं को ही स्थाई कमीशन पर रखेगी और 75 फीसदी रिटायर होने पर क्या करेंगे। सरकार भत्ता तो देगी लेकिन युवाओं को नौकरी कहा से मिलेंगी। इस योजना को लेकर यह एक बड़ा सवाल है। जिसके लिए युवा सड़क पर आ गए हैं और जगह-जगह हिंसा कर रहे हैं। इस योजना की सबसे बड़ी कमी है अग्निवीरों के उम्र की सीमा में कमी और पेंशन की समाप्ति करना। वहीं सेना में सेवानिवृत्ति कुछ अफसरों का कहना है कि सेना में एक मजबूत ट्रेनिंग के लिए डेढ़ से दो साल का समय लग जाता है और इस योजना से सेना की परंपरा, सैन्य दक्षता और प्रभावशीलता से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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Pooja Pandey

आईआईएमसी दिल्ली, हिंदी पत्रकारिता