हाल ही में असम में बाढ़ के कोहराम से भीषण तबाही मची हुई हैं।न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार असम में इस साल अब तक बाढ़ से 108 लोगों की मौत हुई है और 30 जिलों में लगभग 55 लाख से ज्यादा लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं।राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1976) के मुताबिक असम के कुल क्षेत्रफल 78,438वर्ग किलोमीटर में से इसका करीब 40 फीसदी हिस्सा बाढ़ की चपेट में हैं। जिससे असम में फसल और बुनियादी ढांचा अधिक प्रभावित होता हैं और लोगों को बहुत समस्याएं झेलना पड़ता हैं।असम में यह कोई नई बात नहीं हैं यहां हर साल बाढ़ की घटना मानसून के दौरान देखी जाती हैं।
आखिर असम में हर साल बाढ़ क्यों आती हैं ?
बाढ़ को भारत में सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदा माना जाता हैं।भारत में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली कुल मृत्यु में 40 फीसदी मृत्यु सिर्फ बाढ़ से होती हैं।1980 से 2017 के बीच तक के आंकड़े को देखे तो भारत में अब तक 235 बार बाढ़ आई हैं। जिसमें बाढ़ की घटनाओं के कारण लगभग 1,26,286 लोगों की मौत हुई हैं ,1.93 अरब लोग प्रभावित हुए हैं और लगभग 58.7 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ हैं।भारत में 45.35 मिलियन हेक्टेयर भूमि लगभग 14 फीसदी बाढ़ के प्रति अधिक सुभेद्य हैं।
असम में बाढ़ के कारण -
असम का पहाड़ी हिस्सा भूटान और अरूणांचल प्रदेश से लगा हुआ है।तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र और 50 से अधिक इसकी सहायक नदियां अरूणांचल प्रदेश से होते हुए असम में आती हैं जो हर साल असम में तबाही लाती हैं। इसमें ब्रह्मपुत्र नदी की अहम भूमिका है जो असम में लाखों लोगों की मौत का कारण बनती हैं क्योंकि इसका बेसिन लगभग 5,80,000 वर्ग किलोमीटर लंबा है जो कि 4 देश भारत,चीन,भूटान,बांग्लादेश में फैला हैं।
भौगोलिक तौर पर असम ऐसे जोन में हैं जहां बारिश सबसे ज्यादा होती है।बारिश से जलस्तर अधिक हो जाता हैं। असम में पानी की अधिकता एक प्राकृतिक घटना हैं।
तटबंधों की खराब व्यवस्था -
अब तक असम सरकार ने पिछले 60 सालों में तटबंधों के निर्माण में केवल 30 हजार करोड़ रु खर्च किए है।इसका निर्माण 1970 और 1980 के दशक में अस्थाई उपाय के रूप में किया गया हैं।पुराने हो जाने के कारण यह तटबंध बाढ़ रोकने में असमर्थ है और जल्दी टूट जाते हैं। तटबंधों का मजबूत निर्माण न होना असम में एक बड़ी समस्या है।(तटबंध का उपाय नदी के अधिक पानी रोकने के लिए किया जाता है।)
मानव प्रभाव और जलवायु परिवर्तन -
असम में बाढ़ आना मानवीय कारण की एक अहम भूमिका हैं।असम में नदियों के किनारे तेजी से अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है,नदी के आसपास नए टाउन बस रहे हैं जो कि बाढ़ जोखिम की एक बड़ी समस्या हैं। वनों की कटाई से भी असम में बाढ़ की गंभीर समस्या पैदा हुई हैं।पूर्वी हिमालय में जलवायु परिवर्तन का अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र में तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और ब्रह्मपुत्र नदी से असम में पानी आ रहा हैं।
असम में बाढ़ के प्रभाव -
असम में बाढ़ आने से जानमाल का भारी नुकसान होता है।असम में बाढ़ से हर साल औसतन 100 लोगों की मौत होती है।वर्ष 2019में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का 90 फीसदी हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हुआ था और लगभग 300 से अधिक जानवरों की मौत हुई थी।
उपाय -
2021 में जल संसाधन पर एक संसदीय समिति गठित हुई जिसमें असम में बाढ़ रोकने के उपाय बताए गए है - ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों के किनारे तटबंधों को मजबूत करना।समिति में यह भी था कि असम में बाढ़ वाले क्षेत्र में वनीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए साथ ही पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में सभी बांधो में मौसम केंद्र स्थापित होना चाहिए।
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